“जीवन की शान्ति”
Need peace and tranquility in life |
जीवन में शान्ति और सुकून चाहिए तो जीवन जीने के तरीके को बदलना पड़ेगा।
आध्यात्मिकता हमे जीवन को सही तरह से जीने का तरीका बताती है। आध्यात्मिकता में हर बात का समाधान है। भौतिकता में दिखावा है, झूठ है, आवरण पर आवरण चढ़ा हुआ है। ऐसे नही कि हम सच्चाई को जानते नही, जानते हैं लेकिन एक लहर की तरह सच्चाई मन में उठती है फिर बह जाती है। और फिर से उसी आसक्ति में बंधन में खो जाते हैं। Need peace and tranquility in life
हमारा जीवन उस कटी पतंग की तरह है जो चील को आसमान में उड़ते हुए देखती है और सोचती है कि इसको ना तो कोई बंधन है, ना कोई डोरी है और मुझे डोरी से बाँधा गया है जिस पर किसी और का नियंत्रण है। व्यर्थ के इस बंधन को मैं भी काट देती हूँ। वह डोरी काट देती है। हवा का एक झोंका आता है जो उसे उड़ा कर दूर ले जाता है, और वह कांटो वाले पेड़ में उलझ जाती है।
Need peace and tranquility in life |
पतंग की तरह हम भी यही गलती करते हैं। मनमर्जी से चल कर स्वतंत्र होने की सोचते है पर ज्यादा बंधनो में बंध जाते हैं। हम अध्यात्म रूपी डोरी को काट देते हैं और फिर कटी पतंग की तरह कांटो के उलझते रहते हैं। आध्यात्मिकता हमे सिखाती हैं। जल्दी उठ कर भगवान को याद करो, किसी से गलती हो गई तो माफ़ कर दो, बीती को भुलाना सीखो, किसी से अनबन हुई तो उसे किनारे कर पुन: हाथ मिला लो, नम्र बन जाओ ये बाते बन्धन नही बल्कि हमारी सुरक्षा हैं। Need peace and tranquility in life
भगवान कहते हैं, अपने आप को बदलो। दुःख भीतर से निकलता है इसलिए सुधार भी भीतर से होगा, और भीतर से सुधार होगा आध्यात्मिक ज्ञान को जीवन में धारण करने से।
ईर्ष्या को जीवन से निकाल दे तो मन में ख़ुशी रहेगी जो मन दर्पण से सपष्ट दिखाई देगी।
ख़ुशी तब कम होती है जब मन में किसी के प्रति ईर्ष्या या द्वेष का भाव उत्पन्न होता है परन्तु ज्ञानवान मनुष्य को चाहिए कि जब उसके मन में ऐसा भाव उत्पन्न हो तब सोचें कि यह तो मेरी गिरावट की निशानी है। Need peace and tranquility in life
संसार में हर एक आत्मा का अपना अपना पार्ट है। कोई भी अपने पुरुषार्थ से या पूर्व कर्म के प्रारब्धों के रूप में ऊपर चढ़ता है तो उसको देख कर तो यह सोचना चाहिए कि इसने कभी ना कभी कोई ऐसा उच्च कर्म किया है जिससे इसको ऊँची गति मिली है, अब मैं भी उच्च पुरुषार्थ करूँ।
Need peace and tranquility in life |
यहाँ तो हर एक का पार्ट अलग अलग है। सब एक तो हो ही नही सकते। दूसरों के प्रति ईर्ष्या या द्वेष रखने से दूसरों के प्रारब्ध कम तो हो नही जाते बल्कि अपने ही जीवन में गिरावट आने के फलस्वरूप् अपने ही प्रारब्धों में घाटा पड़ता है और अपने ही मन में अशांति आती है। आध्यात्मिक उन्नति भी रुक जाती है और योगाभ्यास में भी विघ्न पड़ता है। Need peace and tranquility in life
अत: सही तरीका तो यही है कि दूसरों की उन्नति को देख कर हम अपना पार्ट अपने ही पुरुषार्थ से उच्च बनाने की कोशिश करें। दूसरों की उन्नति को देख कर यदि हम अपने मन में खुश होंगे तो निश्चय ही यह दृष्टिकोण उन्नति पर ले जाने वाला सिद्ध होगा। Need peace and tranquility in life
।। जय सियाराम जी।।
।। ॐ नमः शिवाय।।