Big House…
Nowadays Rati and her entire family are immersed in the sea of happiness. Feet can’t stay on the ground… Desperate to touch the sky.
Why not have an ordinary family with five daughters each… beautiful to look at, fair skinned, smart in work but father does not have a bundle of dowry… In any case, the elder girl gets married in a family without money. It was a big deal to settle any donation or dowry.
“Rati, don’t forget us… I have heard that your in-laws are very rich,” her friends would quip.
“Don’t bother me guys” Rati would rebuke them but would be having tears in her heart.
“Saw the boy, where does he work, how is he?” The acquaintances were curious to know.
Every second or third day some gift or the other would arrive in the hands of someone from Rati’s in-laws.
The desire to have a big house and to be shown the vegetable garden of the marriage arranger had such an impact on Rati and her parents that they did not consider it appropriate to investigate on their own.
Daughters should get married and bathe in the Ganga… this mentality was prevalent. From our side too, the good conduct of the boy and his family would be exaggerated to the people. Whereas the truth was something else… neither did anyone see the boy nor gathered any information about his family… they were just lost in the beautiful dreams of Mungeri Lal.
Meanwhile, Rati’s maternal uncle came for some work… asked the sister, “Saw the boy… inquired about the family.”
“If my cousin sister-in-law told me what to do, everything would be fine.”
Rati’s mother said this but her heart became distraught… she called her sister-in-law, “Didi, please introduce us to the boy and his family once… it would be better if the boy and the girl also see each other and understand each other.” “
As soon as the sister-in-law heard this, she got angry, “You don’t believe us… I am telling you… They are big businessmen… The boy also does business… They just want a beautiful cultured girl… Five daughters each.” It’s yours, it’s not a knot…!”
“Didi, but we should have met once!” Rati’s mother became suspicious.
“Meet me, do they trust me or not… go and investigate… if something goes wrong then don’t tell me anything.” Sister-in-law Rani hung up the phone.
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Now Rati’s parents and uncle started thinking, “Is there something black in the lentils?”
“Sister, don’t worry… I will find out secretly,” Rati’s maternal uncle assured.
When the truth came out, Rati and her parents beat their heads, “Such a big betrayal just because we are poor… I have five daughters… Such a vicious circle of a cousin posing as a real sister.”
“Thank God that we came to know in time, otherwise there would have been nothing left but to get married to such a criminal.” Uncle explained.
In fact, that cousin was in contact with a criminal gang that used to trap girls from poor and helpless families by luring them into big money houses and then absconding from there on the pretext of business and selling the girls elsewhere… The girl was subjected to so much physical and mental torture that she did not dare to protest.
“No, it won’t work like this… If I don’t get trapped, then others will be trapped.”
Rati’s maternal uncle and father complained to the crime branch with evidence… as a result, everyone was caught.
News started appearing in newspapers and TV. Aware people of the society came forward… after seeing and hearing, the five sisters got married in good houses.
On the other hand, those with fake criminal mentality ended up behind bars.
People would laugh saying, “There was nothing black in the lentils… the entire lentils were black.”
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बडा़ घर
आजकल रति और उसका पूरा परिवार खुशियों के समुंदर में गोते लगा रहा है। जमीन पर पाँव नहीं टिकते… आकाश छूने को बेताब हैं।
भला हो भी क्यों नहीं साधारण परिवार जिसमें पाँच -पाँच कन्याएं… देखने में सुंदर, गोरी चिट्टी ,काम-काज में होशियार लेकिन पिता के पास दहेज की पोटली नहीं …वैसे में बडी़ लड़की का विवाह पैसे वाले के घर में बिना किसी दान-दहेज के तय हो जाना बहुत बड़ी बात थी।
“रति हमें भूल न जाना… सुना है तेरे ससुराल वाले बड़ी अमीर हैं “सहेलियां चुटकी लेती।
“तंग मत करो तुमलोग “रति उन्हें झिड़कती लेकिन मन ही मन लड्डू फूट रहे होते।
“लड़के को देखा, कहाँ नौकरी करता है, कैसा है “पहचान वाले जानने को उत्सुक थे।
हर दुसरे तीसरे दिन कोई न कोई उपहार रति के होनेवाले ससुराल से किसी न किसी के हाथों आता।
बड़े घर की चाहत और विवाह कराने वाले अगुए की सब्ज बाग दिखाने का असर रति और उसके माता-पिता पर ऐसा चढा़ कि उन्होंने अपनी ओर से छानबीन करना उचित नहीं समझा।
बेटी ब्याहें गंगा नहाये… इसी मानसिकता का बोलबाला था। अपनी ओर से भी लड़के और परिवार के शील-स्वभाव का लोगों से बढा़-चढा़कर वर्णन किया जाता। जबकि सच्चाई कुछ और थी …न किसी ने लड़के को देखा और न घर-परिवार की कोई जानकारी जुटाई… बस मुंगेरी लाल के हसीन सपने में खोये थे।
इसी बीच किसी काम से रति के मामा आये… बहन से पूछा, “लड़के को देखा… घर-परिवार पता लगाया। ”
“पता क्या करना है मेरी रिश्ते की ननद ने बताया तो सब ठीक ही होगा।”
कहने को रति की मां कह गई लेकिन हृदय व्याकुल हो उठा… ननद को फोन लगाया, “दीदी एकबार हमें लड़के और उसके घर वालों से तो मिलवाओ… लड़का लड़की भी एक-दूसरे को देख समझ लें… अच्छा रहता। ”
सुनते ही ननद भड़क गई, “तुम्हें हम पर विश्वास नहीं है… बता रही हूं न… बड़े व्यापारी हैं… लड़का भी बिजनेस करता है… बस उन्हें सुंदर संस्कारी लड़की चाहिये… पांच-पांच बेटियां हैं तुम्हारी, गाँठ में धेला नहीं.. .!”
“दीदी, लेकिन एकबार मिल तो लेते! “रति की मां सशंकित हो गई।
“मिल लो, उन्हें मुझपर भरोसा है तुम्हें या नहीं… जाओ जाकर छानबीन करो… अगर गड़बड़ हुआ तब मुझे कुछ मत कहना”ननद रानी ने फोन रख दिया।
अब रति के माता-पिता, मामा सोच में पड़़ गये, “दाल में कुछ काला तो नहीं। ”
“बहन चिंता मत करो… मैं गुप्त रुप से पता लगाऊंगा”रति के मामा ने आश्वस्त किया।
जब सच्चाई सामने आई तब रति और उसके माता-पिता ने सिर पीट लिया, “इतना बड़ा धोखा सिर्फ इसलिए कि हम गरीब हैं …मेरी पाँच बेटियां हैं… सगी बनकर रिश्ते की बहन का ऐसा कुचक्र। ”
“ईश्वर का धन्यवाद करो कि समय रहते पता चल गया नहीं तो ऐसे अपराधी कुकर्मी के यहाँ विवाह कर सिर धुनने के अलावा कुछ न बचता।”मामा ने समझाया।
दर असल वह रिश्ते की बहन वैसे अपराधी गिरोह के संपर्क में थी जो गरीब लाचार घर की लड़कियों के बड़े पैसे वाले घरों में शादी का लालच देकर उन्हें पहले फंसाती थी फिर बिजनेस के बहाने वहां से फरार होकर लड़की को अन्यत्र बेंच देते थे… लड़की को इतना शारीरिक मानसिक यातना देते कि वह विरोध करने की हिम्मत नहीं कर पाती थी।
“ना ऐसे नहीं चलेगा… मैं नहीं फंसा तब दुसरे को फंसायेंगे।”
रति के मामा और पिता ने सबूतों के साथ क्राइम ब्रांच में कंप्लेन किया… फलतः सभी पकड़े गये।
अखबार टी वी में खबरें आने लगी। समाज के जागरुक लोग आगे आये… देख-सुनकर पांचों बहनों का अच्छे घरों में रिश्ता हुआ।
उधर फर्जी अपराधी मानसिकता वाले जेल के सलाखों के पीछे पहुँच गये।
“दाल में कुछ काला नहीं… पूरी दाल ही काली थी”कहकर लोग हंस पड़ते ।
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